महिलाओं को अब नहीं होता रसोई का काम करने से परहेज

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से आसान हुई गृहिणी चितेश्वरी की रसोई

कांकेर (गंगा प्रकाश)। “घर में पहिली जब लकड़ी वाला चूल्हा रहिस तब रंधनी खोली (रसोई) म जाय बर बेटी मन मुड़ी ला नई उठाय। अब जब ले परधान मंत्री उज्ज्वला योजना ले गैस सिलेंडर मिले हे, ऊहीचे पडहे लिखे अऊ बाकी काम बूता ला करथे।“ यह कहना है नरहरपुर विकासखंड के ग्राम धनोरा की गृहिणी श्रीमती चितेश्वरी साहू का। ग्राम में आयोजित विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत ’मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी’ अंतर्गत अपना अनुभव साझा करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने बताया कि आज से दो साल पहले तक वह पारंपरिक लकड़ी वाले चूल्हे का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए करती थी, जिससे धुंए का प्रदूषण फैलने के साथ-साथ अनेक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। बारिश के दिनों में तो घर के बाकी सब काम छोड़कर चूल्हा सुलगाते काफी समय देना पड़ता था। वहीं बेटियों को रसोई का काम बता दो तो बगलें झांकना शुरू कर देती थीं। और तो और, ईंधन के लिए जलाऊ लकड़ी इकट्ठी करने समय-बेसमय जंगल की खाक छाननी पड़ती थी। गृहिणी श्रीमती साहू ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस मिली है, तब से मानो किचन में बहार सी आ गई है। अब बच्चे रसोई में जाकर काम करने से परहेज नहीं करते, वहीं धुआंरहित रसोई हो जाने से पढ़ाई लिखाई और अन्य दैनंदिनी के ज्यादातर काम रसोई कक्ष से ही होने लगे हैं। श्रीमती चितेश्वरी ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के प्रति बारम्बार आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस योजना से सिर्फ रसोई ही नहीं, पूरे परिवार में सकारात्मक और खुशनुमा वातावरण निर्मित हो गया है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *