राज्य स्तरीय दिव्यांग खेल स्पर्धा में शर्मनाक अव्यवस्था: कुत्तों के बीच भोजन, जंग लगे टैंकर से पानी, उपेक्षा का शिकार बने खिलाड़ी

राज्य स्तरीय दिव्यांग खेल स्पर्धा में शर्मनाक अव्यवस्था: कुत्तों के बीच भोजन, जंग लगे टैंकर से पानी, उपेक्षा का शिकार बने खिलाड़ी

 

बिलासपुर (गंगा प्रकाश)। प्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ियों के प्रोत्साहन और उनके उज्ज्वल भविष्य के नाम पर आयोजित राज्य स्तरीय दिव्यांग खेलकूद प्रतियोगिता अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई। समग्र शिक्षा विभाग द्वारा बहतराई स्टेडियम में कराई गई इस प्रतियोगिता में 33 जिलों से आए सैकड़ों दिव्यांग खिलाड़ियों को सम्मान की जगह अपमान झेलना पड़ा। मूलभूत सुविधाओं की कमी और बदइंतजामी की वजह से यह आयोजन खिलाड़ियों के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं रहा।

कुत्तों के बीच भोजन, जंग लगे टैंकर से पानी :

खेल प्रतियोगिता में शामिल खिलाड़ियों के लिए भोजन और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी ध्यान नहीं रखा गया। हालात यह रहे कि खिलाड़ियों को आवारा कुत्तों के बीच बैठकर भोजन करना पड़ा। खाने की जगह पर किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, जिससे कुत्ते खाने में मुंह मारते रहे और खिलाड़ी बेबस होकर यह तमाशा देखते रहे। स्वच्छ पानी का भी इंतजाम नहीं था, खिलाड़ियों को जंग लगे टैंकर से पानी पिलाया गया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर खतरा मंडराने लगा।

रहने की जगह भी बेहाल, साफ-सफाई का अभाव :

 खिलाड़ियों को जिन स्थानों पर ठहराया गया, वहां साफ-सफाई और स्वच्छ पेयजल की भारी किल्लत थी। न तो मूलभूत सुविधाएं थीं और न ही किसी तरह की निगरानी, जिससे दिव्यांग खिलाड़ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

मंच से भाषण, मैदान में उपेक्षा :

 आयोजन में बड़े अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्होंने मंच से खिलाड़ियों के हौसले और जज्बे की खूब सराहना की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि किसी ने भी मैदान में मौजूद खिलाड़ियों की दुर्दशा पर ध्यान नहीं दिया। यह सवाल उठता है कि क्या आयोजन के लिए फंड की कमी थी या फिर बजट का दुरुपयोग किया गया?

खिलाड़ियों और अभिभावकों में आक्रोश, दोषियों पर कार्रवाई की मांग :

 अव्यवस्थाओं को देखकर खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों में गहरा आक्रोश है। वे जिम्मेदार अधिकारियों और आयोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में इस तरह की लापरवाही यह साबित करती है कि या तो दिव्यांग खिलाड़ियों के प्रति संवेदनशीलता की कमी है, या फिर प्रशासनिक तंत्र अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रहा है।

क्या मिलेगा न्याय, या होगी लीपापोती? :

 अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले को लेकर कोई ठोस कदम उठाता है या हमेशा की तरह जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। दिव्यांग खिलाड़ी सम्मान और संवेदनशीलता के हकदार हैं, न कि उपेक्षा और अमानवीय व्यवहार के। इस तरह की घटनाएं न केवल उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि उनकी खेल प्रतिभा के विकास में भी बाधक बनती हैं।जरूरत इस बात की है कि भविष्य में इस तरह के आयोजनों को केवल भाषणों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं और गरिमापूर्ण माहौल उपलब्ध कराकर उन्हें असली सम्मान दिया जाए।

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