
आदिवासियों की 12 जनजाति एसटी में शामिल होने के बाद भाजपा कांग्रेस में मची श्रेय लेने की होड़,शुरू हुआ ट्वीटर वार
प्रकाश कुमार यादव
रायपुर(गंगा प्रकाश):-अक्सर देखा जाता है कि जब कोई उल्लेखनीय कार्य होता है तो उसका श्रेय लेने की होड़ मच जाती है और स्थिति मारामारी की बन जाती है। श्रेयमिजाजी लोग खास मिसाल पेश कर लेते हैं,तब वह इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने भी उतारू हो जाता है। भले ही वह किसी भी रूप में हों ? आज जहां देखें वहां, केवल श्रेय लेने की होड़ दिखती है। ऐसा लगता है, जैसे गली-गली में ‘श्रेय की दुकान’ खुल गई है और वहां से जो जब चाहे, तब ‘श्रेय’ खरीदकर ले लाए। जैसे, बाजार से हम सेब खरीद कर ले आते हैं। फिर अपना एकाधिकार जमाने में उसे कहां देर लग सकती है ?श्रेय लेने की महारथी होना भी बड़ी बात है, क्योंकि इसे उस समय ली जाती है, जब खुद के लिए उपलब्धि या महानता की बात हो। बाकी समय, यही श्रेय कौड़ी काम की नहीं होती ? हद तो तब हो जाती है, जब ‘श्रेय’ को हथियाने की कोशिश की जाती है। कोई श्रेय दें या न दें, मगर मन किया तो खुद ही ‘श्रेय’ की मशाल लेकर निकल पड़े, गलियों में और फिर थपथपाने लगे अपनी पीठ। ऐसा नजारा मुझे लगता है, आपने भी कहीं न कहीं जरूर देखा होगा, क्योंकि श्रेय लेने का कीड़ा भी उपलब्घि के नाम पर रेवड़ी बटोरने वाले को ही काटा रहता है तथा उसके मुंह से बस ‘श्रेय’ पाने के शब्द निकलते हैं।आज हालात यहां तक आ गए हैं कि लोगों में मामूली बात पर भी श्रेय लेने होड़ नजर आ रही है। जब दो पियक्कड़ यह कहते फिरे कि किसने, ज्यादा पी रखी है और इस बात पर झगड़ा हो तो, ‘श्रेय’ के शुरूरी अंदाज को समझा जा सकता है।हमारे देश के नेता भी श्रेय लेने में माहिर नजर आते हैं। जब देखते हैं कि लोहा गरम है, उसी समय दे मारते हैं, श्रेय का हथौड़ा और जीत लेते हैं, श्रेय की बाजी। जनता तो बेचारी है ही, उसे बस इतनी बात समझ में आती है कि नेता जो मंच से कह दे, वही सही है। परदे के पीछे जो होता है,उसे वह कैसे समझ सकती है ? यहां करता कोई है और भरता कोई है ? बातों-बातों में नेता झगड़ते रहते हैं और श्रेय लेने की बाजीगरी साबित करते रहते हैं, मगर इस राजनीति के बंद सर्कस में ‘श्रेय’ की बयार बहती है, उसमें कोई नहीं बहता, सिवाय अवाम के।वैसे मौका आने पर यही बाजीगर कब पलटी मार ले, कह नहीं सकते। अब देखिए, महंगाई को ही। महंगाई बेचारी डायन बन बैठी है और जनता बेबस होकर रह गई है ? सरकार केवल यही दंभ भर रही है, बस अब कुछ माह ही…। ऐसे मसलों में श्रेय का शुरूर नेताओं के दिमाग से गायब हो जाता है। मेरे मुताबिक यही राजनीति है, जिसे कोई समझ न पाए और हमेशा घनचक्कर बन बैठे रहें और नेता, वोट की नाव में अपनी नोट की गंगा बहाते रहे। हालांकि,नोटों की गंगा बहाना भी शुरूर है, मगर यहां कोई किसी को श्रेय नहीं देता कि उसकी तिजोरी को किसने,कितनी भरी है ?और किन्हें लूटकर कर भरी हैं।बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 साल हो गया जिसमें तीन शुरू के तीन वर्ष कांग्रेस की जोगी सरकार सत्ता में रही फिर लगातार 15 वर्षो तक भाजपा की रमन सरकार सत्ता पर काविज रही हैं और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग भी उठते रही हैं किंतु छत्तीसगढ़ में अब तक आदिवासी मुख्यमंत्री नही बन सका हैं।लेकिन अब छत्तीसगढ़ में निवासरत 12 जनजातियों को एसटी में शामिल होने के बाद अब भाजपा औऱ कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ सी मच गई हैं।जिसे लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में ट्यूटर वार भी शुरू हो गया हैं। प्रदेश के राजनीतिक दल एसटी में शामिल आदिवासियों के लड़ाई अब ट्वीटर पर लड़ रहे हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके छत्तीसगढ़ की जनता को बधाई और पीएमओ को धन्यवाद दिया, तो भाजपा ने सीएम के ट्वीट को रिट्वीट करके निशना साधा। मुख्यमंत्री बघेल ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ की विभिन्न जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में शमिल करने का आग्रह किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ की 12 जातीय समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति प्रदान की है।इसके जवाब में छत्तीसगढ़ भाजपा ने शायरी के साथ ट्वीट किया कि तुम चाहते तो काट सकते थे, वे कानून के बंधन। आदिवासियों को दे सकते थे तुम भी रोटी चंदन। पर आदिवासियों की सिसकियों से दिल तुम्हारा पिघला नहीं। तुम भी तो थे सत्ता में पर कभी आदिवासियों को पूछा नहीं।। क्रेडिटजीवी भूपेश बघेल। भाजपा ने केंद्र सरकार को आदिवासी हितैषी बताया है।
भाजपा बोली- झूठा श्रेय लेने में जुटी है कांग्रेस की सरकार
छत्तीसगढ़ के 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में केंद्र सरकार ने शामिल किया है। इसे लेकर प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है। पूर्व मंत्री व भाजपा नेता केदार कश्यप ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार इस मामले में झूठा श्रेय लेने में जुटी हुई है। वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकुमार साय ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने देश में 55 साल राज किया लेकिन कभी भी अनुसूचित जनजातियों के हित में नहीं सोचा। इस मौके पर विकास मरकाम, देवलाल ठाकुर और झगेश्वर धुर्व ने प्रेसवार्ता ली। केदार कश्यप ने कहा कांग्रेसियों ने हमारी बहन द्रौपदी मुर्मू का मजाक उड़ाया था। आने वाले चुनाव 2023 और 2024 में अनुसूचित जनजाति के लोग कांग्रेस को जवाब देंगे।
छत्तीसगढ़ की 12 जातियां एसटी में शामिल
दशकों से अधिकारों से वंचित छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश सहित पांच राज्यों से जुड़ी करीब डेढ़ दर्जन जनजातियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है। इन जातियों को अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिलेगा। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सभी तरह का लाभ भी ले सकेंगे। फिलहाल अनुसूचित जनजाति में जिन जनजातियों को शामिल करने का फैसला लिया गया है, उनमें सबसे अधिक 12 जातियां अकेले छत्तीसगढ़ की हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की ‘हट्टी” और उत्तर प्रदेश की ‘गोंड” और उनकी पांच उपजातियों को भी शामिल किया गया है।
एसटी में शामिल छत्तीसगढ़ के 12 जातियां
छत्तीसगढ़ की जिन 12 जातियों को एसटी में शामिल किया गया है, उनमें भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया, भूईयां, भूयां, भरिया को शामिल किया गया है, वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो को व धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवा को, गदबा, गोंड के साथ गोंड़ को, कोंध के साथ कोंद, कोडाकू व कोड़ाकू को, नगेसिया और नागासिया के पर्याय के रूप में किसान, धनगढ़ का परिशोधन धांगड़ शामिल हैं।
इतनी आबादी है प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की
जनगणना 2011 के अनुसार राज्य में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 78 लाख 22 हजार 902 है। प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग एक तिहाई जनसंख्या (30.62 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों की है। इनमें सर्वाधिक 72 लाख 31 हजार 82 ग्रामीण इलाकों में निवासरत हैं।
राज्यपाल ने भी उठाया था मुद्दा
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने 11 नवंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में 12 जनजातियों के मात्रात्मक त्रुटि का मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाया था। साथ ही उइके ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात में भी जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि के संबंध में जानकारी देकर उचित कार्यवाही करने का आग्रह किया था।
यह होता है फायदा
अनुसूचित जनजातियों के लिए जितने भी नियम-अधिनियम बनाए गए हैं, उनका लाभ मिलता है। शिक्षा में छात्रवृत्ति समेत विभिन्न् योजनाओं का लाभ मिल जाता है। अनुसूचित जनजातियों के लिए जो भी संवैधानिक अधिकार हैं, उनका लाभ मिलता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत किसी जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल किया जाता है। यह अधिकार भारत सरकार के पास है। राज्यों की ओर से प्रस्ताव भेजे जाने पर भारत सरकार इसकी स्वीकृ ति करती है।
राज्यों की ओर से प्रस्ताव भेजे जाने पर भारत सरकार इसकी स्वीकृति करती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 11 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रस्ताव भेजा था। प्रदेश के कई समुदायों को इस सूची में शामिल करने की मांग लगातार की जाती रही है। भारत सरकार की ओर से अब तक प्रदेश की 42 जनजातियों को एसटी की सूची में शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ के 12 समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया यह निर्णय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के 12 समुदायों को एसटी में शामिल करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इससे प्रदेश के इन समुदायों के लगभग एक लाख लोगों को शासन की विभिन्न् योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। वहीं दूसरी ओर अब इसका श्रेय लेने के लिए राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस जहां इसे अपने प्रयासों की सफलता बता रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि उसकी कोशिशों से ही यह संभव हो पाया है।
इन 12 समुदायों में भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भुईंया, भूईंया, भूयां नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया के रूप में भारिया का सुधार। पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो। धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवार, गदबा, गोंड के साथ गोंड़, कौंध के साथ कोदो, कोडाकू के साथ कोड़ाकू, नगेसिया, नागासिया के पर्याय के रूप में किसान, धनगढ़ का परिशोधन धांगड़ शामिल हैं।
इतनी आबादी है प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की
जनगणना 2011 के अनुसार राज्य में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 78 लाख 22 हजार 902 है। प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग एक तिहाई जनसंख्या (30.62 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों की है। इनमें सर्वाधिक 72 लाख 31 हजार 82 ग्रामीण इलाकों में निवासरत हैं।
भाजपा सरकार ईमानदार होती, तो 18 साल पहले मिल जाता हक
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 11 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर राज्य की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आग्रह किया था। उसी पहल का नतीजा है कि इन जाति समूह के लोगों की पुरानी मांग पूरी हुई। मरकाम ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ईमानदारी से पहल की होती तो इन समुदाय के लोगों को 18 साल पहले ही हक मिल जाता। रमन सरकार की आदिवासी विरोधी चरित्र और नीति के कारण आदिवासियों को उनका अधिकार नहीं मिला।
भाजपा के प्रयास से मिला आदिवासियों को हक
भाजपा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के दो पत्र जारी किए और दावा किया कि भाजपा के प्रयास से आदिवासियों को उनका हक मिला है। पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि मोदी सरकार के फैसले से मात्रा की त्रुटी के कारण अपने अधिकार से वंचित 20 लाख से ज्यादा आदिवारियों को हक मिल सकेगा। 18 अप्रैल 2022 को पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र लिखा था। गागड़ा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने अपनी गलत राजनीतिक मंशा की वजह से इस मामले को लटकाए रखने का बहुत प्रयास किया लेकिन मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राहत दी।
कहां कितने समुदाय
-समुदाय – भारिया भूमिया के पर्याय भूईंया, भुईंयॉं, भूयां
जिले- सरगुजा, जशपुर, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा
कुल जनसंख्या – 1,096
-समुदाय: भारिया, भरिया
जिले- कोरबा और बिलासपुर
कुल जनसंख्या- 4,101
समुदाय: पंडो, पण्डो और पंडो
जिले- सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर
कुल जनसंख्या – 956
-समुदाय: धनुहार, धनुवार, धरवार
जिले- रायगढ़, सरगुजा, कोरबा, जांजगीर-चांपा और बिलासपुर
कुल जनसंख्या – 1,113
-समुदाय: गदबा, जिला बस्तर, कुल जनसंख्या – 8,535
समुदाय: गोंड़, गोंड, जिले: लगभग सभी जिले ,कुल जनसंख्या- 40,153
-समुदाय: कोंद, कोंध
जिले- रायगढ़, महासमुंद,गरियाबंद, बलौदाबाजार
कुल जनसंख्या – 503
-समुदाय: कोड़ाकू, कोडाकू
जिले- महासमुंद, सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर और बलरामपुर
कुल जनसंख्या – 4,842
-समुदाय: किसान का पर्याय, नगेसिया और नागासिया
जिले- जशपुर और सरगुजा
कुल जनसंख्या- 4,230
-समुदाय: धनगढ़, धांगड़
जिले- कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, जीपीएम
कुल जनसंख्या- 10,422
-समुदाय: सौंरा, संवरा पर्याय सावर, सवरा
जिले- महासमुंद, रायगढ़, बलौदाबाजार, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा और जशपुर
कुल जनसंख्या- 4,967
-समुदाय: बिंझिया
जिले- जांजगीर-चांपा, सरगुजा, कोरिया, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, रायगढ़ और महासमुंद
कुल जनसंख्या- 11,220