
ग्राम चारपारा के भू विस्थापितों की प्रेस वार्ता
कहा नौकरी मिलने तक जारी रखेंगे आंदोलन
भागवत दीवान
कोरबा (गंगा प्रकाश)। एनटीपीसी कोरबा के ग्राम चारपारा के 8 भू-विस्थापित नौकरी देने की मांग को लेकर तानसेन चौक में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 32 दिन से बैठे हुए है। आज से 43 साल पूर्व एनटीपीसी कोरबा के द्वारा सन् 1978 1979 में 2000 मेगावाट के लिए ग्राम चारपारा की कृषि और आवासीय भूमि का अधिग्रहण किया गया था । जिसमें बाजार मूल्य से कम सस्ते दरों पर मुआवजा दी गई।
उक्त बातें एनटीपीसी ग्राम चारपारा के भू- विस्थापित लक्ष्मण लाल कैवर्त, प्रहलाद केवट व अन्य ने कही। उन्होंने ने कहा कि नौकरी के लिए दिनांक 4 जुलाई को आवेदन पत्र दिया गया था । अधिग्रहण के पश्चात जिन ग्रामवासियों की जमीन अधिग्रहित की गई थी उन्हें एनटीपीसी कोरबा में रोजगार देने के लिए 4 सितंबर 1979 को एनटीपीसी कोरबा के तत्कालीन महाप्रबंधक के.सी. जैन द्वारा आम सूचना जारी की गई थी।उसके बाद नौकरी लेने की प्रक्रिया की शुरूवात की गई, जिसमें ग्राम चारपारा से एक दो परिवार को नौकरी देने के पश्चात ग्राम चारपारा के लोगों को नौकरी नहीं देने पर काम को रोका गया । वर्ष 1981 में विभिन्न समस्याओं के लिए बैठक की गई। जिसमें चारपारा की समस्या पर चर्चा की गई। बैठक में एनटीपीसी और ग्राम चारपारा के प्रतिनिधी श्री देवांगन के चर्चा करने के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि ग्रामीण लोग निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेंगें। एनटीपीसी प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को अविलंब ही नौकरी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि पुनः वर्ष 1981 को एनटीपीसी कोरबा द्वारा रोजगार के लिए दूसरी और 1987 में तीसरी आम सूचना जारी की गई । फिर से नौकरी की प्रक्रिया को शुरू की गई । नौकरी नही दिये जाने के कारण सन् 1988 में जो ग्रामवासी ग्राम चारपारा से नही हटे थे उनके बीच 14 व्यक्तियों को नौकरी देने की सहमति बनी और अब तक ग्राम चारपारा के 307 परिवार में से मात्र 38 परिवार को नौकरी दी गई है । इसमें से 209 परिवार द्वारा कई बार नौकरी की मांग की आफिसों के चक्कर काटे गये । नौकरी की मांग किये जाने पर भूविस्थापितों को एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन द्वारा गुमराह किया जाता रहा है । उनका कहना है कि जब तक एनटीपीसी द्वारा नौकरी नही दी जाती तब तक वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहेंगे।