
रायपुर/गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। देश की एक तिहाई आबादी गुटखे और तंबाकू का सेवन करती है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ख़तरनाक है।तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा एक धीमा जहर है जो इसका सेवन करने वाले हर व्यक्ति को धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर देता है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। इसके बावजूद अक्सर लोग हर गली कूचे में इसका सेवन करते दिखते हैं।नतीजतन रोजाना गुटखा-तंबाकू से हजारों की संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं। उन्हे मुंह को खोलने में भी दिक्कत होती है लेकिन लत बन जाती है इसलिए मानते नहीं।
वर्ष 2006 से पहले गुटखा कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स में तंबाकू मिलाती थी,लेकिन साल 2006 में फूड सेफ्टी एक्ट में हुए बदलाव के बाद किसी भी खाने की वस्तु में तंबाकू नहीं मिला सकते। गुटखा कंपनियों ने इसका भी तरीका निकाल लिया और पान मसाला बनाना शुरू कर दिया और इसके साथ ही तंबाकू अलग से बेचने लगीं हैं।तो वंही दूसरी और जिम्मेदार अधिकारियों से सांठगांठ कर धड़ल्ले से तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा की बिक्री की जा रही हैं।


इस ज़हर के सेवन से दांत पीले, काले और लाल होने लगते हैं। इसी के साथ धीरे-धीरे दांत गलने भी लग जाते हैं। इस धीमे जहर से जहां अमीर लोग अपना इलाज करवा लेते हैं,वहीं गरीब मौत के मुंह में चले जाते हैं।गुटखा-तंबाकू का सेवन करने वाले हर साल लाखों लोग समय से पहले अपनी जान गंवा देते हैं।
राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट के साइंटिस्ट ने दावा किया है कि गुटखा,खैनी,जर्दा का देश की एक तिहाई जनता सेवन करती है। गुटखे के अंदर 70 प्रकार के पदार्थ होते हैं। इसमें जर्दा सबसे ज्यादा हानिकारक होता है।जर्दे में पाया जाने वाला निकोटीन और गुटखे में मिले 70 पदार्थ शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।हमारे देश में मुंह का कैंसर बहुत कॉमन है।बताना लाजमी होगा कि राज्य में तम्बाकू युक्त जर्दा गुटखा एवं पान मसाला को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भी जिला गरियाबंद के छुरा, फिंगेश्वर, गरियाबंद, मैनपुर, अमलिपदर, इंडग़ांव,गोहरपदर,देवभोग, राजिम,पाण्डुका व अन्य ग्रामीण इलाकों में तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से गुटखे की बिक्री जारी है। गुटखा खाना और दूसरों को खिलाना अब फैशन बन गया है।जर्दा गुटखे के इस कारोबार में बड़े थोक विक्रेता शामिल हैं। अधिकांश छोटे-बड़े किराना दुकान समेत पान ठेलो की दुकानों में आसानी से लोगों को तम्बाकू युक्त गुटखा उपलब्ध है। पान की दुकानों में भी गुटखे की लड़ियां सजा के रखी जाती है। वहीं दूसरी ओर लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। राज्य के फूड एंड सेफ्टी कमिश्नर ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के आलोक में गुटखा एवं पान मसाला के निर्माण, भंडारण,वितरण,प्रदर्शन, खरीद-बिक्री और परिवहन पर 10 जून 2019 से ही प्रतिबंध घोषित है। हालांकि खुले आम हो रही बिक्री को रोकने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया गया। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से इस धंधे में लिप्त अवैध कारोबारियों के इरादे बुलंद है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक व्यवसायी ने बताया कि तम्बाखू युक्त गुटखे की बिक्री प्रतिबंधित है। लेकिन क्षेत्र में गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। प्रतिबंध लगाने के बाद स्वाभाविक रूप से कीमतें बढ़ जाती है और व्यवसायी अधिक मुनाफा कमाते हैं।ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ शासन के प्रतिबंध व कोर्ट के आदेश के बाबजूद भी समूचे छत्तीसगढ़ अन्तर्गत दुकानों में तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा खुलेआम बिक रहा है। दिखावे के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी छापा मार कार्यवाही की बात जरूर कहते हैं किंतु वो भी पहले से ऐलान करके जबकिं इनके कार्यालयों में राजनांदगांव,भिलाई,रायपुर,महासमुन्द के तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा के थोक व्यापारियों को हर महीना इनके कार्यालयों में हाजरी लगाते आसानी से देखा जा सकता हैं।रोक के बाद भी छत्तीसगढ़ के शहरी व कस्बो से लेकर ग्रामीण इलाकों में इतनी मात्रा में गुटखा कहां से पहुंच रहा है, विभाग इसकी पड़ताल नहीं करता हैं।
कोंडागांव में कड़ाई से लागू होगा कोटपा अधिनियम 2003
गैर संचारी रोग कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के तहत तंबाकू सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन काफी गंभीर है। इसके तहत कलेक्टर दीपक सोनी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक का आयोजन कलेक्ट्रेट में किया गया। उनके द्वारा जिले में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के बेहतर संचालन हेतु अंतर्विभागीय समन्वय को बढ़ाते हुये सभी विभागों को जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया। साथ ही जिले में कोटपा एक्ट 2003 के प्रावधानों को कड़ाई से लागू कर निरंतर चालानी कार्यवाही करने को निर्देशित किया। सभाकक्ष में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले के सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं के 100 गज के दायरे में तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध हेतु कड़ाई से कार्यवाही की जाए। इसके अतिरिक्त जिले के सभी शैक्षणिक संस्थाओं में दिसम्बर 2022 के अंत तक तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान के दिशा अनुरुप कार्यवाही पूर्ण किये जाने हेतु निर्देशित किया। कार्यक्रम के दौरान जिला कार्यक्रम प्रबंधक भावना महलवार द्वारा जिले के सभी विभागों में तंबाकू नियंत्रण हेतु नोडल अधिकारी के नामांकन के लिये चर्चा की गई जिस पर कलेक्टर महोदय द्वारा सभी विभागों को यथाशीघ्र नोडल नामंकित किये जाने हेतु निर्देशित किया। बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आर.के.सिंह ने बताया कि तंबाकू के प्रयोग से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, टीबी, जैसे गैर संचारी रोग होने की संभावना अधिक होती है। सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान की वजह से आसपास के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। इसलिए सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों में धुम्रपान प्रतिबंधित किया जाता है।संभागीय समन्वयक प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान सहित धुम्रपान मुक्त जिला एवं धुम्रपान मुक्त ग्राम पंचायत के क्रियान्वयन की प्रक्रिया के सबंध में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि राज्य की 76.76 प्रतिशत आबादी गांव में बसती है और यहां ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका रहती है। विकास के लिए लोगों की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष भागीदारी जरूरी है, जो ग्राम पंचायतों की सहभागिता से संभव है। इसलिए पंचायतों के द्वारा तंबाकू नियंत्रण लागू करवाने को प्राथमिकता दी जानी आवश्यक है क्योंकि सामुदायिक भागीदारी से ही तंबाकू मुक्त पंचायत का सपना साकार हो सकेगा।
गरियाबंद जिला में धड़ल्ले से बिक रहा
प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन पड़ोसी राज्यों सहित रायपुर,राजनांदगांव, भिलाई, महासमुन्द में निर्मित गुटखे में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर। गरियाबंद जिला शहरी सहित ग्रामीण इलाकों में बड़ी मात्रा में तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है।
प्रदेश के कुछ शहरों में हो रहा निर्माण
बताया जा रहा है कि राजधानी में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां संचालित हैं,जहां तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ शहरों में इसका निर्माण भी किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है। इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है। चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं।
कैेंसर के साथ हृदय रोग का बड़ा कारण
गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग हैण् इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।
अधिकारी झाड़ रहे अपनी जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इन्हीं स्वास्थ्यगत समस्याओं की वजह से प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन चंद पैसों की लालच में दुकानदार खुलेआम मौत के इस सामान को बेच रहे है वहीं जिम्मेदार विभाग के अधिकारी भी सबकुछ जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं सवाल करने पर दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालने लगते है
छत्तीसगढ़ में बैन गुटखा और तंबाकू की जद में आ रहे बच्चे-बुजुर्ग
छत्तीसगढ़ में गुटखा पर प्रतिबंध लगा है,गुटखा बेचना दंडनीय अपराध है।बावजूद इसके खुलेआम शहर के गली मोहल्ले चौक-चौराहों और सभी प्रमुख स्थलों पर गुटखा खुलेआम बिक रहा है।बिक्री का तरीका जरूर बदल गया है,पहले गुटखा-तंबाकू युक्त होता था,लेकिन अब पान-मसाले की आड़ में अलग से तंबाकू के साथ बेचा जा रहा है।आलम यह है कि बच्चों में भी गुटखे की लत बढ़ती जा रही है।बावजूद इसके इसे रोकने के लिए संबंधित विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है
39.1 प्रतिशत लोग प्रदेश में करते हैं तंबाकू का सेवन
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं।यह देश की औसतन 28.4 प्रतिशत से अधिक है।इसमें 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र से पहले ही तंबाकू का सेवन शुरू कर दिया था।29 प्रतिशत ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4 प्रतिशत ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया है।औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तंबाकू का सेवन शुरू किया था।
कोटपा एक्ट के तहत नहीं हो रही कार्रवाई
केंद्र सरकार ने 18 मई 2003 को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा एक्ट ) लागू किया है।अधिनियम के तहत विज्ञापन का प्रतिषेध,व्यापार, वाणिज्य,उत्पादन,प्रदाय और वितरण का विनिमय पर स्पष्ट प्रावधान हैं।अधिनियम में सिगरेट जर्दा युक्त गुटखा, सूंघकर नशा करने वाला पदार्थ सभी का उल्लेख है। विक्रय के लिए आवश्यक नियम अधिनियम में उल्लेखित है।एक्ट में नाबालिग को तंबाकू युक्त पदार्थ देना दंडनीय है, जिस पर जुर्माने का प्रावधान है।
पान मसाला के साथ अलग से दिया जाता है तंबाकू
प्रतिबंध के बाद दुकानों में तंबाकू युक्त गुटखे खुले में बिक रहे हैं।पान-मसाला के साथ तंबाकू की पुड़िया चुपके से अलग से दी जाती है।गुटका कंपनियां यह तंबाकू ग्राहकों को निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं।इस वजह से लोग गुटखे की लत से दूर नहीं हो पा रहे हैं।
कांग्रेस सरकार में बढ़ा गुटखा और तंबाकू का अवैध कारोबार: बीजेपी
बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधा है,भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार आई है,तब से सभी प्रकार के अवैध काम की छूट मिल गई है।कानून व्यवस्था बिगड़ते जा रही है। दूसरे राज्यों की शराब शासकीय शराब की दुकानों से बिक रही हैं। रेत माफिया सक्रिय हो गए हैं।जनप्रतिनिधियों की पिटाई हो रही है।ऐसे में गुटखा-तंबाकू भी खुले आम बिक रहा है
नशे की वजह से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी और बच्चे हो रहे है बर्बाद
नशे की वजह से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी और बच्चे बर्बाद हो रहे हैं। तंबाकू की वजह से जहां एक और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।आने वाली पीढ़ी भी इससे प्रभावित हो रही हैं। कानून का पालन न होने के कारण अवैध कारोबार चल रहा है।कर्मचारियों की कमी, ट्रेनिंग का अभाव और भ्रष्ट्राचार है।यही वजह है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
गुटखा तंबाकू खिलाफ कार्रवाई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है
अब देखने वाली बात है कि प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से प्रदेश में तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा और तंबाकू युक्त उत्पादों के विक्रय पर रोक लगाने सरकार क्या कदम उठाती है साथ ही संबंधित विभाग इसे रोकने किस तरह के कार्रवाई करता है क्योंकि बार-बार विभागों के दावों के बावजूद आज तक गुटका तंबाकू युक्त उत्पाद की बिक्री नहीं रोकी जा सकी है जिसकी मुख्य बजह हैं तम्बाखू युक्त जर्दा गुटखा निर्माताओं और थोक व्यापारियों की जिम्मेदार अधिकारियों से सांठगांठ जिस बजह से यह काम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।