
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)। श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखा है :
“समरथ को नहीं दोष गोसाईं, रवि सुरसरि पावक की नाईं।”
अर्थात सामर्थ्यवान व्यक्ति (साधन सम्पन्न, बलशाली, प्रभावशाली) का आचरण सुनिश्चित सामाजिक मर्यादाओं के विपरीत होने पर भी उसे नियम विरुद्ध आचरण का दोषी नहीं माना जाता है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे सूर्य की तीव्रता कितनी भी प्रचंड हो, वर्षा काल में गंगाजी अपने तटों को छोड़कर कितने भी क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लें और अग्नि अपनी प्रचंड ज्वाला में कुछ भी भस्म कर दे किन्तु उसे दोषी नहीं ठहराया जाता है।उसी प्रकार ऐसा ही उदाहरण छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी में देखने को मिल रहा है जन्हा भ्रष्टाचार शिरोमणी उर्फ सट्टा वाले बाबा श्री श्री 508 श्री भूपेश बघेल इतने सामर्थवान हो चुके हैं कि इनके दोषों को कोई गिना दे तो उसे कांग्रेस पार्टी से ही निकलना पड़ सकता हैं या निकाला जा सकता हैं बताते चले कि छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के काले कारनामे EOW और IT-ED के महकमे में खूब रौशन हो रहे हैं, केंद्र और राज्य स्तरीय दोनों जांच एजेंसियों का शिकंजा भ्रष्ट नौकरशाह और अलोकतांत्रिक नेताओं पर लगातार कसता जा रहा है। माना जा रहा है कि हफ्ते भर के भीतर कुख्यात आरोपी भू-पे बघेल समेत कई सटोरिए और कानून का माखौल उड़ाने वालों को तलब कर लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ जल्द नोटिस जारी होने की संभावना है।सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि महादेव ऐप घोटाले में F.I.R. की फहरिस्त लंबी है, अभी तो सिर्फ 3 पन्नों का टाइटल ही सामने आया है,उससे इतनी राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ गई। पिक्चर तो अभी बाकी है, आशंका जाहिर की जा रही है कि एजेंसियां जल्द कुछ बड़े कदम उठा सकती हैं। इस बीच खबर आ रही है कि राजनांदगांव के जिस नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के समक्ष आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की हताशा जाहिर की थी, उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली गई है। कांग्रेसी हलकों में सुरेंद्र वैष्णव दाऊ का निष्कासन तय माना जा रहा है। ये वही नेता हैं जिन्होंने भू-पे को मंच पर जमकर खरी खोटी सुनाई थी। उनका वीडियो राजनैतिक गलियारों में चर्चा में रहा।
वैष्णव दाऊ के संबंध में सोशल मीडिया में एक कारण बताओ नोटिस वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि राजनांदगांव संसदीय सीट में आयोजित कार्यकर्त्ता सम्मेलन में उनके द्वारा आपत्तिजनक अभिव्यक्ति की गई थी। हालाकि इस वायरल नोटिस की अधिकारिक पुष्टि धनंजय टाईम्स नही करता हैं ।लेकिन सोशल मीडिया में चर्चा में आए इस मामले में कांग्रेस पार्टी द्वारा इस नोटिस के बारे में कोई अधिकारिक पुष्टि भी नही की जा रही है। अलबत्ता इस पत्र को देखकर कांग्रेस के ही कई नेता अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है। जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसी स्थिति है।
कांग्रेस के ऐसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं का मानना है कि कार्यकर्त्ता अपनी पीड़ा सम्मेलन में नही तो क्या नेता जी के घर पर जाकर जाहिर करेंगे? जहां दरबान खदेड़ देता है। राजनांदगांव में यही दर्द तो सुरेन्द्र दाऊ जाहिर कर रहे थे। कांग्रेस में भूपेश बघेल की उम्मीदवारी को लेकर संकट गहराते जा रहा है। बताते हैं कि पार्टी के किसान नेता सुरेन्द्र दाऊ ने राजनांदगांव संसदीय सीट से भू-पे को प्रत्याशी बनाए जाने का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इससे राजनांदगांव के जीतने योग्य स्थानीय प्रत्याशियों की अवहेलना की गई है, उन्हें नजरंदाज किया गया है। इस बाबत सुरेन्द्र दाऊ ने कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र भी लिखा है।छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चुनाव के पूर्व काफी उथल-पुथल देखी जा रही है। कई पूर्व विधायक और स्थानीय नेता पाला बदल रहे हैं, अब वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। इसे बीजेपी की लहर के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी यही दावा भी कर रही है। वरिष्ठ बीजेपी नेता विजय शंकर मिश्रा ने दावा किया कि PM मोदी और उनकी गारंटी ने छत्तीसगढ़ की फिजा बदल दी है।मिश्रा कहते हैं कि अब की बार कांग्रेस का सुपड़ा ही साफ हो जाएगा। उनके मुताबिक बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों को प्रदेश की गरीब जनता कभी नही भूलेगी। उनके मुताबिक सरकारी तिजोरी में लूट-मार कर बघेल सरकार ने बेहद खराब हालत में प्रदेश की स्थिति ला दी थी, हम उसे विकास की ओर अग्रसर कर रहे हैं।महतारी वंदन और किसानों के सपने साकार करने से मोदी गारंटी मात्र 2 माह में पूरी कर दी गई है। उन्होंने दावा किया है कि प्रदेश में मोदी की आंधी है। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बीजेपी के दावों को ख्याली पुलाव करार दिया है। एक बयान में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांटे का मुकाबला है। बीजेपी की एकतरफा जीत के दावे धरातल पर नही है। बैज ने कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का दावा किया है।फिलहाल छत्तीसगढ़ में नामांकन दाखिले की तिथि जैसे जैसे करीब आ रही है, वैसे वैसे राजनैतिक पारा भी चढ़ते जा रहा है।
राजनांदगांव में प्रत्याशी बदलने की मांग: कांग्रेस में घमासान, पूर्व सीएम भूपेश पर लगे गंभीर आरोप
कांग्रेस ने राजनांदगांव लोकसभा सीट से पूर्व सीएम भूपेश बघेल को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन वहां बघेल का विरोध शुरू हो गया है। बघेल पर बीजेपी से सांठगांठ करने जैसे गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 का प्रचार अभियान जैसे-जैसे तेज हो रहा है प्रदेश कांग्रेस में कल्ह बढ़ते जा रहा है। एक के बाद एक नए-नए विवाद खड़े हो रहे हैं। लोकसभा प्रत्याशियों के प्रति भी नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। सबसे ज्यादा वबाल राजनांदगांव संसदीय सीट में देखने को मिल रहा है। वहां कांग्रेस से प्रत्याशी बनाए गए भूपेश बघेल का ही विरोध शुरू हो गया है। यहां तक की बघेल पर बीजेपी से सांठगांठ करने का भी आरोप लगाया जा रहा है।
कांग्रेस आलाकमान ने राजनांदगांव की सीट पर जीत सुनिश्वित करने के इरादे से वहां से पूर्व सीएम बघेल को मैदान में उतारा है। पार्टी नेताओं का अनुमान था कि 5 साल राज्य के मुखिया रहे बघेल को प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले का वहां के कार्यकर्ता खुलकर समर्थन करेंगे और पूरी ताकत से वहां चुनाव लड़गे, लेकिन वहीं सबसे ज्यादा हंगामा हो रहा है। कांग्रेस के कुछ नेता भूपेश बघेल का टिकट वापस लेकर राजनांदगांव के किसी स्थानीय नेता को टिकट देने की मांग उठने लगी है।
राजनांदगांव से कांग्रेस प्रत्याशी बदलने की मांग को लेकर सुरेंद्र दास वैष्णव (सुरेंद्र दाऊ) मुखर हैं। सुरेंद्र दाऊ जिला पंचायत और प्रदेश किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। ये वहीं है जिन्होंने 18 मार्च को भारी सभा में मंच पर बघेल की मौजूदगी में उन्हें खरी- खरी सुनाई थी। इस मामले में पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब तबल किया है। इस बीच उन्होंने नया विवाद खड़ा कर दिया है। सुरेंद्र ने मीडिया से चर्चा करते हुए बघेल के स्थान पर किसी स्थानीय नेता को टिकट देने की मांग की है। बघेल को राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाए जाने से बीजेपी को फायदा होगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बघेल पर बीजेपी के साथ सांठगांठ का आरोप लगा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हां, यदि ऐसा नहीं होता तो विधानसभा चुनाव में वहां बाहर से प्रत्याशी ले जाकर क्यों चुनाव लड़वाते।

कांग्रेस ने जारी किया कारण बताओ नोटिस, एकपक्षीय कार्यवाही की चेतावनी
राजनांदगांव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में मंच से पार्टी के खिलाफ भाषण देने वाले सुरेंद्र दास वैष्णव (सुरेंद्र दाऊ) को जिला कांग्रेस कमेटी ने नोटिस जारी कर दिया है। पार्टी ने उनकी हरकत को अनुशासन और आला कमान के निर्देशों का उल्लंघन माना है। जिला कमेटी ने सुरेंद्र दाऊ से पूरे मामले में 3 दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही समय पर जवाब नहीं मिलने पर एकपक्षीय कार्यवाही की चेतावनी भी दी है।

मामला 18 मार्च का है। राजनांदगांव लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में राजनांदगांव ग्रामीण क्षेत्र के कोठरिया बाड़ी में कर्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस दौरान सुरेंद्र ने मंच से ही पूर्व सीएम और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला। पूछा कि पंच, सरपंच की दरी उठाने की ही जिम्मेदारी है क्या? अगर भिलाई-दुर्ग में पंचायत के चुनाव होंगे तो हम वहां भी काम करने के लिए तैयार हैं। 5 साल बहुत से हमारे नेताओं ने कहा कि कार्यकर्ताओं को लेकर चिंतन-मनन किया। क्या इसमें हम कार्यकर्ताओं को बुलाया गया। इन लोगों ने बंद कमरे में बैठकर चिंतन-मनन किया। हम इस बात को डंके की चोट पर कहते हैं कि किसानों को भाजपा की सरकार 3100 रुपए धान के दे पा रही है, वो भूपेश बघेल की देन है।

सुरेंद्र दाऊ यहीं नहीं रुके एक कार्यकर्ता यहां उठकर कह दे कि 5 साल में उनका एक भी काम हुआ हो। हमारे दुख-तकलीफ, बहू-बेटा का ट्रांसफर में कोई साथ नहीं दिया, सिर्फ प्रताड़ित किया गया। आज मंच पर नई फोटो दिख रही है, लेकिन 5 साल पहले दूसरे नेताओं की तस्वीर मंच पर लगी होती थी। उन्होंने कहा कि अगर मैं कुछ गलत कर रहा हूं तो पार्टी चाहे तो मुझे निष्कासित कर दे। मैं कार्यक्रम में बाधा नहीं पहुंचाना चाहता हूं, लेकिन 5 साल हमको मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी के चलते हम विधानसभा चुनाव हारे। इसके लिए हम सब कार्यकर्ताओं को चिंतन करने की जरूरत है। बताते चलें कि सुरेंद्र दाऊ पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं। वे किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राजनांदगांव में हो रहा है विरोध
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में सियासी भूचाल आ गया है।पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष व कांग्रेस नेता सुरेंद्र दाऊ ने 20 मार्च को रायपुर पहुंचकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में राजनांदगांव के स्थानीय लोगों को लोकसभा का प्रत्याशी बनाए जाने के संबंध में पत्र दिया।उसके बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।सुरेन्द्र दाऊ ने यह भी कहा है कि अगर राजनांदगांव के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं है तो दुर्ग से कार्यकर्ता ले आएं, बता दें, यह वही सुरेंद्र हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले खुटेरी की सभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई थी।उन्होंने कहा था कि 5 सालों तक हम अपने नेता को खोजते रहे. वह आज दिख रहे हैं।साथ में यह भी कहा था कि 5 सालों में किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता का काम नहीं हुआ है।इस लोकसभा चुनाव में स्थानीय लोगों को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया जाए,आज बाहरी प्रत्याशी यहां आ रहे हैं।अगर पार्टी को राजनांदगांव के कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं है तो वह दुर्ग से कार्यकर्ता ले आए,गौरतलब है कि दाऊ के बयान पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दो दिन पहले ही सफाई दी थी।उन्होंने कहा था कि यह कांग्रेस पार्टी है. यहां सबकुछ कहने की छूट मिलती है।यहां सब अपनी बात कह सकते हैं।

मुसीबत नहीं हो रही कम
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में लेटर बम भी फूटा है।कांग्रेस के पदाधिकारी ने अपनी ही पार्टी के दूसरे पदाधिकारी पर गबन का आरोप लगाया है।कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिसोदिया ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखा है।सिसोदिया ने लिखा है कि रामगोपाल अग्रवाल और विनोद वर्मा ने मिलकर पार्टी की 5 करोड़ 89 लाख रुपये का राशि का घोटाला किया है।इन्होंने मुख्यमंत्री के पूर्व विनोद वर्मा के बेटे के कंपनी टेसू मीडिया लैब को काम दिया. यह काम बिना कांग्रेस अध्यक्ष की बिना अनुमति के दिया गया, गौरतलब है कि ये लेटर बम कांग्रेस के अंदर तब फूटा है,जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं।कांग्रेस अभी तक पूरे उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं कर सकी हैं।ये लेटर बम सामने आने के बाद पार्टी में हड़कंप मच गया हैकांग्रेस वैसे ही प्रदेश में एकजुटता को लेकर जूझ रही है, ऊपर से इस पत्र ने उसकी चिंता और बढ़ा दी है।
भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर
छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा देश का ध्यान आकर्षित करने वाली सीट है राजनांदगांव लोकसभा जहां कांग्रेस ने पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है. इस बार कांग्रेस न केवल भाजपा के सभी 11 सीटें जीतने के लक्ष्य को ध्वस्त करना चाहती है वरन इतिहास के उस अध्याय पर भी पूर्णविराम लगाना चाहती है जो वर्ष 2000 में नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद भाजपा के नाम दर्ज है,भाजपा ने पिछले चार चुनावों में कांग्रेस को कभी एक या दो सीटों से आगे नहीं बढ़ने दिया. और तो और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नौ सीटें जीत लीं, कांग्रेस को दो सीटों से संतोष करना पड़ा,चूंकि नवंबर 2023 का विधान सभा चुनाव कांग्रेस हार चुकी है लिहाज़ा लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना उसके और लिए और भी जरूरी हो गया है ताकि पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं के गिरते हुए मनोबल को थामा जा सके।उसके पक्ष में यह अच्छी बात रही है कि अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गयाराम वाले अत्यल्प है. बीते दिनों में भाजपा में शामिल हुए होने वाले नेताओं में ऐसा कोई भी नहीं है जिसका व्यापक जनाधार हो। अतःउनके पार्टी बदलने से संगठन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।एक मजबूत विश्वास के साथ कांग्रेस ने कुछ वरिष्ठों को टिकिट दी है।भूपेश बघेल इनमें प्रमुख हैं. रायपुर सीट जहां उनका नाम तेजी से चला था, की तुलना में राजनांदगांव को प्राथमिकता देने का एक बड़ा कारण है कि इस लोकसभा क्षेत्र की विधान सभा सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने आठ विधान सभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की थी.
खैरागढ में 5634 वोट , डोंगरगढ़ में 14367, खुजजी, 25944, मोहला-मानपुर में 31741 तथा डोंगरगांव में 2789 वोटों के अंतर के साथ कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इन पांच सीटों पर कांग्रेस की बढ़त थी 80475. लेकिन भाजपा ने जो तीन सीटें पंडरिया , कवर्धा व राजनांदगांव जीतीं , उनके वोटों का कुल योग 1,11,074 था जिसमें सर्वाधिक 45084 वोट पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हासिल किए थे।राजनांदगांव से उन्होंने कांग्रेस के गिरीश देवांगन को हराया था,इस प्रकार राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में अधिक सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस 30 हजार 599 वोटों से पीछे रही. यह अंतर 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में काफी कम था. उस चुनाव में भाजपा ने आठ विधान सभा सीटों में से छह पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव व डोंगरगांव में कांग्रेस से अधिक वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस ने केवल खुजजी, मानपुर-मोहला में भाजपा को पीछे किया था,भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय को कुल 6,62,387 वोट मिले तथा उनसे पराजित भोलाराम साहू को 5 ,50,421 यानी 2019 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से 1,11, 966 से अधिक वोट प्राप्त किए थे।इसका अर्थ है भूपेश बघेल को वोटों की इस खाई को पाटना होगा,यह आसान नहीं है क्योंकि राज्य में सरकार भी भाजपा की है तथा केंद्र ने भी पूरा जोर लगा रखा है।बघेल के लिए संतोष की बात सिर्फ इतनी है कि पांच विधान सभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं।राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या करीब 17 लाख है।2019 में 76 प्रतिशत मतदान हुआ था।भाजपा को 50.68 प्रतिशत व कांग्रेस को 42.11 प्रतिशत वोट हासिल थे।इस क्षेत्र में 8 में से 6 सीटें सामान्य वर्ग से हैं जबकि डोंगरगढ़ एससी तथा खुजजी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
यहां 11.7 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 24 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। संख्या के हिसाब से क्रमशः दो लाख व चार लाख तेरह हजार. कुछ अन्य जातियों को छोड़कर पिछड़े वर्ग की आबादी सर्वाधिक है जो साहू बाहुल्य है। ब्राह्मण करीब एक प्रतिशत है।संतोष पांडेय ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन संसदीय चुनावों में उन्हें तथा उनके पूर्ववर्तियों को पिछड़े वर्ग के दम पर जीत मिलती रही है।भूपेश बघेल कांग्रेस में एक बड़ा नाम है। 2018 से 2023 तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने तथा उनकी सरकार ने अपनी नीतियों व कार्यक्रमों के जरिए देशव्यापी ख्याति अर्जित की थी, यह अलग बात है कि बीते चुनाव में पार्टी हार गई,किन्तु इससे उनकी लोकप्रियता पर आंच नहीं आई। लेकिन उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है।संकट इसलिए भी है क्योंकि भाजपा सरकार उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रही है।हाल ही में महादेव एप सट्टा प्रकरण में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, सरकार में रहते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से जो कथित दूरी बन गई थी वह अब बैठकों में रोष के रूप में व्यक्त हो रही है।चंद दिन पूर्व ही राजनांदगांव ग्रामीण ब्लाक कांग्रेस की बैठक में मंच से पार्टी के एक स्थानीय पदाधिकारी ने कांग्रेस की सत्ता के दौरान कार्यकर्ताओं के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार को रेखांकित किया,अतः उनकी नाराज़गी को दूर कर उन्हें विश्वास में लेना तथा लड़ने के लिए तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं हैं।वास्तव में आंतरिक व बाह्य, दोनों तरह के संकटों से जूझ रही कांग्रेस और उसके जुझारू नेता भूपेश बघेल राजनांदगांव में भाजपा की चुनौती को किस तरह खारिज करेंगे , इसका फिलहाल अनुमान लगाना मुश्किल है पर यह ध्यान देने योग्य है कि 25 वर्षों से भाजपा के कब्जे की यह सीट कांग्रेस को इतिहास बदलने का मौका दे रही है।