
रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा मामले को लेकर 1 जनवरी को कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई हैं। जिसमें 508 करोड़ कैश के मामले में असीम दास ने अपने बयान में भूपेश बघेल को पैसे देने की बात कही हैं।छत्तीसगढ़ के चर्चित महादेव सट्टा मामले को लेकर ED की 1800 पन्नों की चार्जसीट में कई जगह पूर्व सीएम भूपेश बघेल का जिक्र किया गया है। ED के द्वारा सोमवार को कोर्ट में पेश किए गए परिवाद में कई आरोपित ने ईडी की पूछताछ में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के नाम का जिक्र किया गया है। अब ऐसा माना जा रहा है कि 508 करोड़ के लेन देन के मामले को लेकर ईडी छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम बघेल को पूछताछ के लिए भी बुला सकती है।

दास बोला- भूपेश बघेल को दिए करोड़ों कैश
बतादें कि ED ने सोमवार को कोर्ट में परिवाद पेश किया। जिसमें कई नए लोगों को ओरोपी बनाया है। जिसमें से कुछ पहले से महादेव मामले में जेल में बंद है। इन आरोपित से पूछताछ में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के नाम का जिक्र किया गया है। ईडी के द्वारा 1 जनवरी 2024 को कोर्ट में पेश की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में आरोपित असीम दास ने 3 दिसंबर को ईडी को अपने दिए हुए बयान में यह बताया है कि महादेव सट्टा के प्रमोटर शुभम सोनी ने उसे दुबई बुलाया और कहा गया कि उसे कैश दिया जाएगा, और ये कैश उसे भूपेश बघेल को देना है। जिसके बाद 12 दिसंबर को असीम ने एक और बयान दिया जिसमें उसने कहा कि उसे फंसाया गया है।
कोर्ट में पेश परिवाद में ये नाम शामिल
ईडी ने 1 जनवरी को जो परिवाद दायर किया है उसमें पांच आरोपियों का जिक्र किया है। इन आरोपियों में असीम दास, पुलिस कांस्टेबल भीम सिंह यादव और महादेव ऐप के संचालक सुभम सोनी, लेखा विभाग के कर्मचारी रोहित गुलाटी और अनिल कुमार अग्रवाल उर्फ अतुल अग्रवाल का नाम शामिल किया गया है। इसके साथ ही ईडी अब आने वाले दिनों में इस पूरे चार्जशीट में जिन लोगों को नाम शामिल है उनसे भी पूछताछ कर सकती है। ऐसा भी माना जा रहा है कि असीम दास के द्वारा कांग्रेस नेता पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम लिए जाने पर बघेल से पूछताछ की जा सकती है।

महादेव के संचालकों को भारत लाने की तैयारी
साल 2023 में छत्तीसगढ़ में चर्चा में बना महादेव सट्टा ऐप पर सबसे पहले पुलिस के द्वारा कार्यवाही की गई थी।जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेते हुए आयकर फिर ईडी ने मामले में हस्तक्षेप किया था। इस पूरे मामले को लेकर ईडी लगभग 5000 करोड़ के सट्टा से अवैध कमाई की जांच कर रही थी। जिसमें ईडी ने सिलसिलेवार तरीके से रेड मारना शुरू किया, सबसे पहली कार्यवाही भिलाई में हुई थी। जिसमें से सट्टा के मुख्य संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल का नाम सामने आया था। इस सट्टा मामले को लेकर अब तक 10 से ज्यादा लोगों को ईडी की पूछताछ के बाद कोर्ट ने ज्यूडिशल कस्टडी में रायपुर जेल भेजा है। वही मुख्य आरोपी सौरभ और रवि उप्पल दुबई में इंटरपोल की कस्टडी में है। जिन्हे जल्द भारत लाने की तैयारी चल रही है।
पूरे देश में चल रहा ED का खेल- सिंहदेव
महादेव सट्टा ऐप मामले में ईडी की चार्जशीट पर भूपेश बघेल के नाम के जिक्र के बाद छत्तीसगढ़ पूर्व डिप्टी सीएम टीएम सिंहदेव का बयान सामने आया है। सिंहदेव ने कहा कि भूपेश बघेल का नाम पहले भी चुनाव से पहले ईडी के प्रेस नोट के माध्यम से उजागर किया गया था। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई की गई है। सिंहदेव ने कहा कि जो स्वयं अपराधी हुए जिनके पास खुद पैसा मिला, वैसे असीम दास के बयान का हवाला देकर चार्जशीट में नाम डाला जा रहा है। उसी असीम दास ने खुद लिखित में यह दिया था कि मेरे ऊपर दबाव बनाकर इस प्रकार का बयान ईडी ने लिया है। टीएस ने कहा कि पूरे देश में ईडी का खेल चल रहा है, यह सभी कार्रवाई मै उसी नजर से देख रहा हूं।

कांग्रेस ने ED पर लगाए भाजपा के लिए काम करने का आरोप
पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ईडी अब जांच एजेंसी नहीं बल्कि भाजपा की षड्यंत्रकारी एजेंसी बन गई है। जिस असीम दास के बयान पर आनन-फानन में ईडी के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ प्रेस नोट जारी किया था, उसी असीम दास ने कोर्ट में बयान का खंडन किया था। शुक्ला ने कहा कि असीम दास ने कोर्ट में कहा था कि मुझे अंग्रेजी नही आती और ईडी ने जबरदस्ती उसमें हस्ताक्षर करवाया था। अब ईडी एक बार फिल उस बयान को झुठलाने के लिए जेल के अंदर जाकर असीम दास का बयान लेती है तो आखिर कौन सा बयान सही माना जाएगा। शुक्ला ने कहा कि तीनो बयान से यह साफ समझ में आता है कि यह आरोप ईडी का षड्यंत्र मात्र है।
200 करोड़ की शादी, सबको कैश में दिए पैसे, जानें कैसे वाट्सऐप से हुआ 6000 करोड़ का स्कैम
महादेव बेटिंग ऐप स्कैम मामले में ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था।आरोपियों की लिस्ट में महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल थे।अब रवि को दुबई में हिरासत में ले लिया गया है।आपको वो 200 करोड़ रुपये की शादी तो याद ही होगी, जो इसी साल की शुरुआत में दुबई में हुई थी और जिसमें भारत के बहुत सारे सेलेब्रिटीज को न्योता दिया गया था।इसमें रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हुमा कुरैशी, हिना खान, कपिल शर्मा, सनी लियोनी, कपिल शर्मा और नेहा कक्कर जैसे सेलेब्रिटीज शामिल में इस शादी की एक खास बात थी।बताया जा रहा है कि इसमें सारा पैसा कैश में खर्च किया गया, यानी ब्लैक मनी की आशंका ने जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया।जब जांच हुई तो पता चला कि महादेव ऐप के मालिकों ने मिलकर करीब 6000 करोड़ रुपये का स्कैम किया है।इसके बाद ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों की लिस्ट में महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल थे। आपने अक्सर खबरों में महादेव बेटिंग स्कैम के बारे में सुनते होंगे। इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तरफ से इस स्कैम की जांच की जा रही है।महादेव ऑनलाइन ऐप सट्टेबाजी मामले में ताजा अपडेट ये आया है कि ईडी ने दुबई में रवि उप्पल को डिटेन कर लिया है।रवि को पकड़ने के लिए इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।बताया जा रहा है कि 43 साल के रवि उप्पल को पिछले हफ्ते हिरासत में लिया गया था और अब रवि को भारत लाने की कोशिशें की जा रही हैं।आइए जानते हैं कभी जूस और टायर बेचने वाले दो दोस्तों ने कैसे किया करीब 6000 करोड़ रुपये का स्कैम….
जूस की दुकान से सट्टेबाजी के बिजनेस तक
महादेव बेटिंग ऐप की शुरुआत की थी सौरभ चंद्राकर और रवि उपल ने, जो 2012-13 के दौरान छत्तीसगढ़ के भिलाई के नेहरू नगर में बहुत ही छोटे कारोबारी थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरभ एक जूस की दुकान चलाया करते थे, जबकि रवि उपल एक टायर की दुकान चलाते थे।दोनों का बिजनेस भले ही छोटा था, लेकिन उन्हें पैसे कमाने की बहुत जल्दी थी। ऐसे में दोनों ने सट्टेबाजी का भी सहारा लिया, लेकिन उसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ।ऐसे में दोनों ये बात समझ गए कि अगर सट्टेबाजी से पैसे कमाने हैं तो इसका बिजनेस करना होगा, वो भी कुछ इस तरह कि हर हालत में सिर्फ मुनाफा ही मुनाफा हो।दोनों ने तय किया कि सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया जाए, लेकिन भारत में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है तो दोनों ने दुबई जाने का फैसला किया,वहां जाकर दोनों ने महादेव बेटिंग ऐप के तहत सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया।ईडी ने अनुमान लगाया है कि इस सट्टेबाजी बिजनेस से कंपनी के प्रमोटर्स हर महीने करीब 450 करोड़ रुपये कमा रहे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि वह हर रोज 200 करोड़ रुपये कमा रहे थे। इनका बिजनेस सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका तक फैला हुआ है।
क्या है महादेव बेटिंग स्कैम का बिजनेस मॉडल?
रोज 200 करोड़ रुपये कमाई वाले इस बिजनेस के बारे में सुनकर आपके मन में भी ये बात जरूर आई होगी कि आखिर इस ऐप का बिजनेस मॉडल क्या है। सौरभ और रवि ने मिलकर जो महादेव बेटिंग ऐप बनाया है, उन्होंने उसका एल्गोरिद्म कुछ ऐसा सेट किया है कि हर हालत में कंपनी को मुनाफा ही होता है. अपने बिजनेस को फैलाने के लिए इन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल चुना और इसके तहत पूरे भारत में करीब 4000-5000 पैनल ऑपरेटर बनाए हैं।ये सभी अपने-अपने इलाके में इस ऐप को प्रमोट करते हैं और वहां से बिजनेस लाते हैं,पैसों को भारत से दुबई तक पहुंचाने के लिए इन्होंने बहुत सारे बैंक खातों का एक जाल भी बुना है, ताकि उन्हें पकड़ना मुश्किल हो सके,इन पैनल ऑपरेटर्स को 30-70 फीसदी तक का कमीशन दिया जाता था।
वाट्सऐप से खेला गया पूरा खेल
जब भी कोई महादेव बेटिंग ऐप के जरिए सट्टेबाजी में पैसे लगाता है तो उसे वाट्सऐप के जरिए एक बैंक खाता भेजा जाता है, जहां उसे पैसे डालने होते हैं। उसके बाद वह पैसा दूसरे कई खातों से होता हुआ हवाला के जरिए दुबई पहुंच जाता है।वहीं ऐप में ग्राहक को अपने पैसों की वैल्यू के बराबर प्वाइंट्स दिखने लगते हैं।जब कोई शख्स सट्टेबाजी में पैसे जीतता है और फिर उसे वापस निकालना चाहता है तो फिर से वही वाट्सऐप वाला खेल शुरू होता है।वाट्सऐप के जरिए अकाउंट नंबर मांगा जाता है और उसी खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।यह पैसे भी कंपनी के खाते से नहीं, बल्कि अलग-अलग लोगों के खातों से आते थे।जांच में पता चला है कि ये कंपनी कई कंपनियों के बंद पड़े चालू खातों को भी दोबारा शुरू करवाकर उसका इस्तेमाल करती थी या कुछ लोगों के नाम पर निजी खाते खुलवाकर उसका इस्तेमाल करते हुए पैसे ट्रांसफर करती थी।यही वजह है कि पैसों के लेन-देन का ये चक्कर जल्दी पकड़ में नहीं आता था और इतने सालों में महादेव बेटिंग स्कैम ने विकराल रूप ले लिया है।
200 करोड़ की शादी, जिससे खुला 6000 करोड़ का स्कैम
हर अपराधी कोई ना कोई गलती जरूर करता है. सौरभ और रवि ने भी ऐसी ही एक गलती कर दी। सौरभ ने इसी साल फरवरी के महीने में शादी की, जिसमें करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए। जांच एजेंसियों के कान तब खड़े हुए जब पता चला कि ये सारे पैसे कैश में दिए गए हैं।यहीं से मामले की जांच शुरू हुई और ईडी ने जगह-जगह छापे मारने शुरू कर दिए।इस मामले में ईडी ने अब तक 400 करोड़ रुपये से भी अधिक की संपत्ति जब्त की है।शुरुआत में अनुमान था कि यह स्कैम 4000-5000 करोड़ रुपये का हो सकता है, लेकिन अब ये आंकड़ा 6000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह भी कहा जा रहा है कि आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।
कौन-कौन चढ़ा ED के हत्थे?
न्यूज एजेंसी पीटीआई को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार्जशीट फाइल की है. इसके तहत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल हैं। इनके अलावा विकास छापरिया, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, अनिल दमानी, सुनील दमानी, विशाल आहूजा और धीरज आहूजा शामिल हैं। इनके अलावा पुनारम वर्मा, शिव कुमार वर्मा, यशोदा वर्मा और पवन नाथानी के खिलाफ भी शिकायत की गई है. वहीं इस मामले में रायपुर की PMLA स्पेशल कोर्ट ने सौरभ चंद्राकर और रवि उपल के खिलाफ नॉब-बेलेबल अरेस्ट वॉरेंट जारी किया हुआ है।दोनों ही इस वक्त वॉन्टेड अपराधी हैं. अब ईडी की तरफ से दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराए जाने की कोशिशें हो रही हैं।
फिल्मी सितारों से क्यों हो रही है पूछताछ?
महादेव बेटिंग ऐप के मामले में इन लोगों के अलावा रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हुमा कुरैशी, हिना खान, कपिल शर्मा, सनी लियोनी, कपिल शर्मा और नेहा कक्कर जैसे सेलेब्रिटीज से भी ईडी पूछताछ कर रहा है। एक सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ किसी शादी में शिरकत करने की वजह से सेलेब्रिटीज से पूछताछ होगी? दरअसल, इन लोगों से पूछताछ कर के ईडी ये जानना चाहती है कि आखिर ये पैसे आए कहां से हैं।
शेयर बाजार से भी निकल रहा है कनेक्शन
महादेव बेटिंग ऐप का कनेक्शन अब शेयर बाजार तक से जुड़ चुका है। मामले की जांच में पता चला है कि कोलकाता के विकास छपरिया ने हवाला से जुड़े ऑपरेशन्स को मैनेज किया है।ईडी ने जब छपरिया के ठिकानों और उसके करीबीयों के यहां छापे मारे तो करीब 236 करोड़ के असेट फ्रीज किए हैं, जिन्हें शेयर बाजार में लगाया गया है। ईडी ने गोविंद केडिया और विकास छपरिया के साथ-साथ उनसे जुड़े ठिकानों पर भी छापे मारे,जांच से पता चला कि Perfect Plan Investments LLP, Exim General Trading FZCO और Techpro IT Solutions LLC के जरिए भी शेयर बाजार में पैसे निवेश किए जाते थे।गोविंद केडिया की 160 करोड़ रुपये की डीमैट होल्डिंग को भी ईडी ने फ्रीज कर लिया है।
एक ही ट्रैवल कंपनी से होते थे सबके टिकट
इस मामले में एक ट्रैवल कंपनी रैपिड ट्रैवल के ठिकानों पर भी छापा मारा गया, जो भोपाल में धीरज आहूजा और विशाल आहूजा के द्वारा चलाया जाता है। ईडी के अनुसार इसी के जरिए ऐप के प्रमोटर, उनके परिवार, बिजनेस एसोसिएट और सेलेब्रिटीज के टिकटिंग से जुड़े ऑपरेशन को मैनेज किया जाता था। ईडी का दावा है कि बेटिंग पैनल से होने वाली अवैध कमाई को बड़ी चालाकी से आहूजा ब्रदर्स के जरिए टिकट प्रोवाइडर्स के पास जमा करा दिया जाता था। वॉलेट बैलेंस के जरिए घरेलू और इंटरनेशनल टिकट बुक की जाती थीं।इसी ट्रैवल कंपनी के जरिए महादेव ग्रुप के अधिकतर ट्रैवल से जुड़े इंतजाम किए जाते थे।
शराब घोटाला, ट्रांसफर घोटाला, गोबर घोटाला, ग्राम सभा सदस्य घोटाला, चावल घोटाला,खदान घोटाला… छत्तीसगढ़ में हुआ कांग्रेस का हिसाब-किताब?
बताते चले की राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार पर घोटालों पर घोटालों को अंजाम देने के आरोप हैं, ऐसे में जनता कांग्रेस से खफा नजर आ रही थी। निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार पर शराब घोटाला, ट्रांसफर घोटाला, गोबर घोटाला, ग्राम सभा सदस्य बनाने के नाम पर घोटाला, चावल घोटाला, खदान से जुड़े माल ढुलाई के काम में घोटाला के साथ ही महादेव बेटिंग ऐप जैसे घोटालों की लंबी फेहरिस्त है।भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंंत्री बनाया गया था, तो ऐसी रिपोर्ट्स थी कि उन्हें 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है, अगले ढाई साल टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे। हालाँकि ऐसा नहीं हुआ। भूपेश बघेल तमाम गतिरोधों के बावजूद पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहे। टीएस सिंहदेव को आखिरी कुछ महीनों के लिए उपमुख्यमंत्री बनाकर चुप करा दिया गया। ऐसा टीएस सिंहदेव ने क्यों होने दिया, ये तो वही लोग जानें, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं की मानें तो भूपेश बघेल ने खुद को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की।
उन पर भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी के लिए तिजोरी के तौर पर इस्तेमाल कराया। जिन चीजों का वादा करके वो सत्ता में आए थे, किया उसके ठीक विपरीत काम और घोटालों पर घोटालों को अंजाम दिया। कांग्रेस पार्टी के लिए फंडिंग की और खुद को सत्ता में बनाए रखा। हम इस लेख में भूपेश बघेल सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की लंबी सूची प्रकाशित कर रहे हैं, जिसके बाद सारी बातें दूध और पानी की तरह स्पष्ट हो जाएंगी।
महादेव सट्टेबाजी घोटाला
भारतीय जनता पार्टी आरोप लगा रही है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल हैं। इस कथित घोटाले के मास्टरमाइंड और एप के मालिक ने अपना एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए नकद पहुँचाए हैं। ये पैसे चुनाव में इस्तेमाल किए गए हैं। उसने बताया कि एक-एक पैसों का हिसाब उसके पास है। बता दें कि महादेव सट्टेबाजी एप मामला 15000 करोड़ का अभी तो ज्ञात है, जाँच जारी है। इतने पैसों की ती मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिसपर ईडी ने केस दर्ज किया है। अभी ये कितना बड़ा घोटाला है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस मामले में भूपेश बघेल के करीबी लोग जेल में बंद हैं।इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकायदा चुनावी सभा में भूपेश बघेल से सवाल पूछा है कि वो बताएँ कि इन पैसों को उन्होंने कहाँ इस्तेमाल किया। पीएम मोदी ने पूछा, “मैं कांग्रेस से कुछ सवाल पूछना चाहता हूँ। महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाला 508 करोड़ रुपए का है और जाँच एजेंसियों ने इस मामले में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की है। छत्तीसगढ़ के निवर्तमान सीएम का एक करीबी सहयोगी भी जेल में है। कांग्रेस को खुलासा करना चाहिए इसमें सीएम को कितना पैसा मिला? दिल्ली दरबार कितना पैसा पहुँचा?”
छत्तीसगढ़ पीसीएस घोटाला
इस घोटाले से जुड़ी हैरान करने वाली जानकारियाँ सामने आई है। छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन में नेताओं और अधिकारियों को बच्चों को सीधे एंट्री मिली, और उन्हें बड़े-बड़े पद भी दिए गए। प्रधानमंत्री ने भी इस घोटाले पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कॉन्ग्रेस के गणितबाजों से सवाल PSC घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ के युवाओं का भी है… जिन हजारों युवाओं ने दिन-रात पढ़ाई करके, परीक्षा पास की थी, उनको किस फॉर्मूले से बाहर निकाला गया? कॉन्ग्रेस नेताओं के बच्चों को गणित के किस फॉर्मूले से भर्ती किया गया?
2000 करोड़ का शराब घोटाला
भूपेश बघेल ने वादा किया था कि कॉन्ग्रेस सत्ता में आएगी तो छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करेगी। उल्टा भूपेश बघेल और उनके बेटे पर आरोप है कि उन्होंने कमीशनखोरी करके 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया जबकि अभी इसकी पूरी डिटेल भी सामने नहीं आई है। जो पकड़ा गया और जिसकी रिकवरी हुई है, यह उसकी जानकारी है। सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ है। इस मामले में ईडी चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है और बताया है कि एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।ज्ञात हो कि मई 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के ‘घोटाले’ का भंडाफोड़ किया, जिसके बारे में माना जाता है कि यह शीर्ष राजनेताओं और नौकरशाहों की मदद से संचालित किया गया था। ईडी ने एक मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया, जिसे रायपुर की एक अदालत ने ईडी की हिरासत में भेज दिया। अनवर ढेबर कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर ऐजाज़ ढेबर के भाई हैं।
गौरतलब है कि ईडी की जांच में इस रैकेट में शामिल पूरे सिंडिकेट का खुलासा हुआ था। ‘पीएमएलए जांच से पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। अनवर ढेबर, एक निजी नागरिक होते हुए भी,उच्च-स्तरीय राजनीतिक अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की अवैध संतुष्टि के लिए समर्थित और काम करता था।
सिंडिकेट कैसे संचालित होता था?
प्रत्येक खरीदी गई नकदी के लिए सिंडिकेट द्वारा आपूर्तिकर्ताओं से प्रति केस 75-150 रुपये (शराब के प्रकार के आधार पर) का कमीशन सावधानीपूर्वक वसूला जाता था।ढेबर ऐसे किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे थे और एक निजी संस्था की तरह चल रहे थे। “राजनीतिक अधिकारियों के समर्थन से, अनवर ढेबर सीएसएमसीएल के एक सक्षम आयुक्त और एमडी पाने में कामयाब रहे, और सिस्टम को पूरी तरह से अपने अधीन बनाने के लिए विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसे करीबी सहयोगियों को काम पर रखा। उन्होंने शराब व्यापार की पूरी श्रृंखला को नियंत्रित किया।
ढेबर ने अन्य लोगों के साथ साजिश करके बेहिसाब देशी कच्ची शराब का निर्माण कराना शुरू कर दिया और उसे सरकारी दुकानों के माध्यम से बेचना शुरू कर दिया। इस तरह, वे राज्य के खजाने में कुछ भी जमा किए बिना पूरी बिक्री आय अपने पास रख सकते थे। डुप्लिकेट होलोग्राम उपलब्ध कराए गए. डुप्लीकेट बोतलें नकद में खरीदी गईं, और शराब को राज्य के गोदामों से गुजरते हुए डिस्टिलर से सीधे दुकानों तक पहुंचाया गया।यह एक वार्षिक कमीशन था जिसका भुगतान मुख्य डिस्टिलर्स द्वारा डिस्टिलरी लाइसेंस प्राप्त करने और सीएसएमसीएल की बाजार खरीद में एक निश्चित हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए किया जाता था। विदेशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से भी FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन वसूला जाता था। ये लाइसेंस अनवर ढेबर के सहयोगियों को दिए गए थे।
चावल घोटाला?
छत्तीसगढ़ की निवर्तमान कांग्रेस सरकार पर सरकारी राशन के बँटवारे में भी घोटाले का आरोप लगा है। पीडीएस व्यवस्था के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो धान देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन कैग रिपोर्ट में आया है कि इसमें 600 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भूपेश बघेल सरकार ने लगभग 5000 करोड़ रुपये का चावल घोटाला किया है। मई माह में भाजपा ने भूपेश बघेल पर 5000 करोड़ के चावल घोटाले का आरोप लगाते हुए इस्तीफा भी माँगा था। इस मामले में भूपेश बघेल और उनसे जुड़े लोगों ने चुप्पी साधे रखी है।
खदान ढुलाई घोटाला?
निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने खदानों से निकलने वाले माल पर भी घोटाला किया है। माल ढुलाई से जुड़ा 2000 करोड़ से अधिक के घोटाले का आरोप उस पर है। बताया जा रहा है कि 25 रुपए प्रति टन की वसूली की गई है। पिछले साल ईडी ने इस मामले में जाँच शुरू की थी और कई लोग इस मामले में भी गिरफ्तार हुए हैं। ईडी ने एक बयान में कहा कि यह मामला एक बड़े घोटाले से संबंधित है, जिसमें छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़ा एक समूह ढुलाई किये जाने वाले प्रति टन कोयले पर अवैध रूप से 25 रुपये का कर वसूल रहा है। अनुमान है कि इससे प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये अर्जित किए जाते हैं।
गोबर और गोठान घोटाला
मजे की बात ऐ है कि छत्तीसगढ़ की निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने घोटाला करने मे गोठान और गोबर को भी नहीं छोड़ा था 1300 करोड़ रुपये का गोठान एवं गोबर घोटाला किया। इस मामले में भाजपा ने भी काफी हमला बोला है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले को उठा चुके हैं। गौ धन के नाम पर इतना बड़ा घोटाला छत्तीसगढ़ में अंजाम दे दिया गया।
क्या छत्तीसगढ़ में दो बैल 1800 किलो गोबर करते हैं?
निवर्तमान कांग्रेस सरकार में सिर्फ भ्रष्टाचार किया जा रहा था। ”हाल ऐसा है कि राज्य में 2 बैल एक दिन में 1800 किलो गोबर दे देते हैं।भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ को लूट का बाजार बना दिया था।इस सरकार में वादे खूब किए जा रहे हैं, लेकिन गरीबों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया हैं।
दरअसल मामला 26 नवंबर का है।कोटा जनपद पंचायत के खैरा ग्राम के दो बैल वाले एक किसान ने गोठान में एक हफ्ते में 12800 रुपए का गोबर बेच दिया, भुपेश सरकार गौ पालकों से 1.5 रुपए प्रति किलों के हिसाब से गोबर खरीदती है। अगर इस हिसाब से अंदाजा लगाएं तो उस किसान के एक बैल ने रोजाना साढ़े 4 क्विंटल गोबर किया,इस मामले में जांच की बात की जाती रही हैं।
छत्तीसगढ़ में चना सरकारी राशन के वितरण में घोटाला?
केंद्र सरकार के पैसों का सही से उपयोग न करने के आरोप, भाई भतीजावाद के आरोप तो लगते ही रहे हैं, साथ ही आदिवासी इलाकों के साथ सौतेला व्यवहार करने के भी आरोप लगे हैं। भूपेश बघेल पर आरोप हैं कि वो छत्तीसगढ़ से मिले घोटालों के पैसों को कांग्रेस की टॉप लीडरशिप तक पहुँचाते हैं और अन्य राज्यों के चुनावी अभियान में भी खर्च करने में मदद करते हैं। यही वजह है कि वो पूरे 5 साल तक अपनी सत्ता बचाने में सफल रहे हैं।
भष्ट्राचार के आरोप हुए नत्थी
कांग्रेस अपनी सफाई में कुछ भी कहती रहे। कोर्ट में क्या साबित हो पाए या नहीं या वक्त बताएगा लेकिन निवर्तमान कांग्रेस सरकार के ऊपर भष्ट्राचार के आरोप एक तरह से नत्थी हो गए। ऐन चुनाव के वक्त महादेव ऐप के प्रकरण ने भी इस धारणा की पुष्टि की। मुक्तिबोध कहते हैं कि इससे इंकार नहीं कर सकते कि भष्ट्राचार के आरोपों ने कांग्रेस का नुकसान किया। आम वोटर के दिमाग में यह संदेश गया कि यह सरकार किसी ना किसी रूप में भष्ट्राचार के मामलों में शामिल होती दिख रही है। भूपेश अपनी सरकार की एक नीट एंड क्लीन इमेज नहीं बना रख सके।